विश्व रेडियो दिवस
(World Radio Day)
आज का दिन : 13 फरवरी 2022
- संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिवर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है।
- वर्ष 2010 में स्पेन रेडियो एकेडमी ने यूनेस्को के सामने इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा। चूंकि 13 फरवरी, 1946 को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी, इसलिए यूनेस्को ने वर्ष 2011 में इसे मनाने की घोषणा की। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2012 में इसे मान्यता प्रदान की। यानी वर्ष 2013 में पहला विश्व रेडियो दिवस मनाया गया।
- समाचार चैनलों और इंटरनेट के तेजी से सूचना फैलाने वाले इस दौर में भी रेडियो का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग अभी भी रेडियो द्वारा जारी खबरों पर ही सर्वाधिक विश्वास करते हैं।
- रेडियो पर पहली बार मानवीय स्वर 1906 में गूंजा था।
- यूनेस्को की ओर से वर्ष 2022 के लिए विश्व रेडियो की थीम Radio and Trust रखी गई है। साथ ही यूनेस्को ने रेडियो स्टेशनों से निम्न तीन सबथीम्स पर यह दिवस मनाने का आह्वान किया है-
- 1. Trust in radio journalism: Produce independent and high-quality content
- 2. Trust and accessibility: Take care of your audience;
- 3. Trust and viability of radio stations: Ensure competitiveness.
भारत में रेडियो प्रसारण
- भारत में पहली बार रेडियो का प्रसारण अगस्त, 1921 में हुआ था। तत्कालीन गवर्नर जनरल जॉर्ज लायड के आग्रह पर टाइम्स ऑफ इंडिया और पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग के संयुक्त प्रयास से बम्बई (मुंबई) में रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। जबकि पहली बार समाचार बुलेटिन कलकत्ता में पहली बार 1927 में कलकत्ता में प्रसारित हुआ।
- 1930 में अंग्रेज सरकार ने रेडियो प्रसारण सेवा का प्रबंधन अपने हाथों में लेते हुए 'इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस' की स्थापना की। इसके पहले महानिदेशक लियोनेल फील्डेन थे। 1 जनवरी, 1936 को दिल्ली के अलीपुर रोड पर प्रसारण केंद्र की स्थापना की गई। 8 जून, 1936 को इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।
- सन् 1946 में सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने।
- सन् 1957 में भारत सरकार ने रेडियो के राष्ट्रीय प्रसारण के लिए 'आकाशवाणी' नाम दिया।
- आकाशवाणी के कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए 1966 में चंद्रा कमेटी और 1978 में वर्गीज कमेटी का गठन किया गया था।
- भारत में सन् 1999 में निजी रेडियो चैनल का प्रारंभ हुआ था।
- भारतीय
वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चन्द्र बसु ने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी
पर कार्य किया था। वे पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रेडियो के विस्तार में
अहम भूमिका अदा की। इसीलिए उन्हें 'रेडियो विज्ञान का पिता' भी कहा जाता
है।
*विश्व रेडियो दिवस-2022 का विषय/थीम*
Radio and Trust
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