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Tuesday, December 17, 2019

सात चरणों में हुआ वर्तमान राजस्थान का गठन

राजस्थान का वर्तमान स्वरूप सात चरणों की प्रक्रिया पूर्ण हाने के बाद 30 मार्च, 1949 को बना, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:-

पहला चरण : मत्स्य संघ- 18 मार्च, 1948

प्रथम महत्त्वपूर्ण चरण में 27 फरवरी, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों का विलीनीकरण कर 18 मार्च, 1948 को 'मत्स्य संघ' का निर्माण हुआ। जिसका नाम कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी के सुझाव पर 'मत्स्य' रखा गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने किया।

दूसरा चरण : राजस्थान संघ-25 मार्च, 1948

एकीकरण के दूसरे महत्त्वपूर्ण चरण में 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, किशनगढ़, टोंक, कुशलगढ़ (चीफशिप्स) और शाहपुरा रियासतों को मिलाकर 'राजस्थान संघ' का निर्माण किया गया। इसका उद्घाटन भी नरहरि विष्णु गाडगिल ने ही किया।

तीसरा चरण : संयुक्त राजस्थान-18 अप्रेल, 1948

तीसरे चरण में 18 अप्रेल, 1948 को उदयपुर रियासत का राजस्थान संघ में विलीनीकरण होने पर 'संयुक्त राजस्थान' का निर्माण हुआ। इसका उद्घाटन इसी दिन उदयपुर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया। वस्तुत: वर्तमान राजस्थान का स्वरूप इसी समय बना और यहीं से इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

चौथा चरण : वृहद् राजस्थान- 30 मार्च, 1949

चौथे चरण में 14 जनवरी, 1949 को उदयपुर की एक सार्वजनिक सभा में सरदार पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, लावा (चीफशिप्स) और जैसलमेर रियासतों के वृहद् राजस्थान में सैद्धांतिक रूप से सम्मिलित होने की घोषणा की। इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए सरदार पटेल ने 30 मार्च, 1949 को जयपुर में आयोजित एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया।

पांचवां चरण : संयुक्त वृहद् राजस्थान (मत्स्य का विलय)- 15 मई, 1949

1 मई, 1949 को भारत सरकार ने मत्स्य संघ को वृहद् राजस्थान में मिलाने के लिए विज्ञप्ति जारी की और 15 मई, 1949 को मत्स्य संघ वृहद् राजस्थान का अंग बन गया। साथ ही नीमराना (चीफशिप्स) को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

छठा चरण : राजस्थान (सिरोही का विलय)- 7 फरवरी, 1950

संयुक्त वृहद् राजस्थान सिरोही के विलय के प्रश्न पर राजस्थान एवं गुजरात नेताओं के मध्य काफी मतभेद थे। अत: 26 जनवरी, 1950 में सिरोही का विभाजन करने और आबू व देलवाड़ा तहसीलों को बम्बई प्रान्त और शेष भाग को राजस्थान में मिलाने का फैसला लिया गया। इसकी क्रियान्विति 7 फरवरी, 1950 को हुई। लेकिन आबू व देलवाड़ा को बम्बई प्रान्त में मिलाने के कारण राजस्थानवासियों में व्यापक प्रतिक्रिया हुई, जिससे 6 वर्ष बाद राज्यों के पुनर्गठन के समय इन्हें वापस राजस्थान को देना पड़ा।

सातवां चरण : वर्तमान राजस्थान (अजमेर का विलय)- 1 नवम्बर, 1956

भारत सरकार द्वारा फजल अली की अध्यक्षता में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 1 नवम्बर, 1956 को तत्कालीन अजमेर मेरवाड़ा राज्य का भी राजस्थान में विलय कर दिया गया।
इसी के साथ मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की मानपुरा तहसील का ग्राम 'सुनेलटप्पा' राजस्थान में शामिल किया गया जबकि राजस्थान के झालावाड जिले का ग्राम 'सिरोंज' मध्यप्रदेश को स्थानान्तरित किया गया।

19 देशी रियासतें और 3 चीफशिप्स

इस प्रकार वर्तमान राजस्थान के निर्माण की प्रक्रिया सात चरणों में समाप्त हुई और 19 देशी रियासतों और 3 चीफशिप्स वाले क्षेत्रों की जनता राजतंत्र से मुक्त होकर लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल हुई।

जयपुर बनी राजधानी

भारत सरकार द्वारा गठित राव समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 सितम्बर, 1949 को जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी बनीं।

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