राजस्थान सामान्य ज्ञान - 6
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-101. तत् वाद्य तारों से बजाये जाने वाले वाद्य यंत्रों को तत् वाद्य कहते हैं। सारंगी, इकतारा, रावण हत्था, जन्तर, तन्दूरा, भपंग, कामायचा, चिकारा, सुरिन्धा, दुकाको आदि तत् वाद्य श्रेणी के वाद्य यंत्र हैं।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-102. राणी सती (दादीजी) का विशाल मंदिर झुंझुनूं में स्थित है जहां प्रति वर्ष भाद्रपद अमावस्या को विशाल मेला भरता है। राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी देवी था। अग्रवाल समाज में जन्मी नारायणी देवी का विवाह तनधनदास के साथ हुआ था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-103. जमुवाय माता का मंदिर जमुवारामगढ़ (जयपुर) में है। इस मंदिर का निर्माण मिर्जा जयसिंह ने करवाया था। ये ढूंढाड़ (जयपुर-आमेर) के कच्छवाहा राजवंश की कुल देवी हैं।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-104. शीतला माता का मंदिर जयपुर जिले के चाकसू के निकट शील की डूंगरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह ने करवाया था। यहां पर प्रतिवर्ष शीतलाष्टमी चैत्र कृष्ण अष्टमी को विशाल मेला भरता है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-105. करणी माता का मूल मंदिर देशनोक (बीकानेर) में है। करणी माता का मंदिर मढ़ कहलाता है। करणीमाता को काबा वाली व चूहों की देवी भी कहा जाता है। चैत्र एवं अश्विन नवरात्रों में देशनाक में विशाल मेले का आयोजन होता है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-106. जीणमाता शाकंभरी व अजमेर के चौहान शासकों की आराध्य देवी रही हैं। शेखावाटी क्षेत्र की आराध्य देवी 'जीण भवानी' का मंदिर सीकर जिले में गोरियां के निकट हर्ष पर्वत पर स्थित है। मंदिर में अष्टभुजी प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। इस मंदिर का निर्माण राजा हट्टड द्वारा करवाया गया था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-107. शिला देवी (अन्नपूर्णा) जयपुर के कछावाह वंश की आराध्य देवी/कुल देवी हैं। शिलादेवी या शिला माता का मंदिर राजधानी जयपुर के निकट आमेर के दुर्ग में है। मंदिर में देवी की अष्टभुजी प्रतिमा 'महिषासुर मर्दिनी' के रूप में है। यह मूर्ति बंगाल के राजा केदार से महाराजा मानसिंह 1604 ई. में लाए थे।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-108. नारायणी माता का प्रसिद्ध धाम (मंदिर) अलवर जिले की राजगढ़ तहसील में बरवा डूंगरी पर स्थित है। यहां पर 11वीं सदी का प्रतिहार शैली का मंदिर बना हुआ है। सेन (नाई) समाज की आराध्य देवी नारायणी माता का मूल नाम करमेती बाई था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-109. भटनेर का किला हनुमानगढ़ में स्थित है। घग्घर नदी के मुहाने पर स्थित इस दुर्ग को भाटी राजा भूपत ने बनाया था। इस दुर्ग को राजस्थान के उत्तरी प्रवेश द्वार का रक्षक कहा जाता है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-110. जयबाण तोप जयपुर में स्थित जयगढ़ दुर्ग में रखी हुई है। यह एशिया की सबसे बड़ी तोप है। जयबाण तोप का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-111. तारागढ़ दुर्ग अजमेर में स्थित है। इसे गढ़बीठली अजयमेरु दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। इस किले को राजस्थान का जिब्राल्टर कहा जाता है। मेवाड़ के राणा रायमल के युवराज पृथ्वीराज ने अपनी वीरांगना पत्नी तारा के नाम पर तारागढ़ रखा है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-112. सोनार किला जैसलमेर में स्थित इस किले को सोनारगढ़ भी कहते हैं। इस किले की प्रमुख विशेषता बिना चूने के सिर्फ पत्थर पर पत्थर रखकर निर्मित है। गहरे पीले रंग के पत्थरों से निर्मित तथा 99 बुर्जों वाले त्रिकूटाकृतिक इस विशाल किले को 1155 ई. में रावल जैसल ने बनवाया था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-113. कैला देवी का मंदिर करौली के त्रिकूट पर्वत की घाटी में स्थित है। कैला देवी करौली के यदुवंश (यादव राजवंश) की कुलदेवी एवं पूर्वी राजस्थान की आराध्य देवी है। इस मंदिर का निर्माण राजा राघवदास ने करवाया। यहां प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल अष्टमी लक्खी मेला भरता है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-114. त्रिपुर सुन्दरी को तुरताई माता एवं त्रिपुर महालक्ष्मी के नामों से भी जाना जाता है। वागड़ क्षेत्र की आराध्य देवी शक्तिरूपा त्रिपुर सुन्दरी का मंदिर बांसवाड़ा जिले के तलवाड़ा गांव में स्थित है। मंदिर में काले पत्थर की सिंह पर सवार देवी की अष्टादशभुजी प्रतिमा स्थापित है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-115. ब्राह्मणी माता का प्राचीन मंदिर बारां जिले के अंता कस्बे से 20 किमी दूर सोरसन गांव में स्थित है। यहां देवी की पीठ का शृंगार होता है और पीठ की ही पूजा होती है। यहां माघ शुक्ल सप्तमी को गधों का मेला भी भरता है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-116. पंचमहल नीमराणा के किले को कहा जाता है। यह दुर्ग अलवर जिले के नीमराणा में स्थित है। इस किले का निर्माण 1464 ई. में चौहान शासकों द्वारा करवाया गया है। अरावली की पहाडिय़ों पर स्थित इस किले को हैरिटेज होटल बना दिया गया है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-117. ढूंढाड़ी बोली को जयपुर या झाड़शाही भी कहते हैं। ढूंढाड़ी का प्राचीनतम उल्लेख 18वीं सदी में लिखित पुस्तक आठ देश गुजरी में मिलता है। यह बोली जयपुर, टोंक, अजमेर, मेरवाड़ा का पूर्वी भाग व किशनगढ़ में बोली जाती है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-118. मारवाड़ी बोली का प्राचीन नाम मरुभाषा है। इस भाषा की उत्पत्ति गुर्जर अपभ्रंश से मानी जाती है। इसका आरंभकाल 8वीं सदी है। यह बोली जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, पाली, जालौर, सिरोही एवं शेखावाटी में बोली जाती है।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-119. चंदरबरदाई अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय (राय पिथौरा) के आश्रित कवि थे। 'पृथ्वीराज रासो' कवि चंदरबरदाई की प्रमुख रचना है। इस ग्रंथ की भाषा पिंगल है। इसमें में एक लाख छंद एवं 69 प्रस्ताव (अध्याय) हैं। इस ग्रंथ को चंद्र के उत्तराधिकारी जल्हण ने पूर्ण किया था।
राजस्थान सामान्य ज्ञान फैक्ट-120. शेखावाटी क्षेत्र में मुख्यत: झुंझुनूं, सीकर एवं चूरू जिले आते हैं। शेखावाटी को राजस्थान के मरुस्थल का सिंहद्वार कहा जाता है। राव शेखा के नाम पर शेखावाटी का नामकरण किया गया है।
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